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शनिवार, १ जुलै, २०१७
बालों को बढ़ाने के साथ साथ अब बढ़ेगी दृष्टि भी
अगर आप सोच रहे हैं कि कोई ऐसी ट्रिक (Trick) है जिससे रातों रात आपके बाल लंबे (Long Hair) हो जाएं तो ऐसा होना संभव नहीं है। हां इतना जरूर है कि बालों की देखभाल (Hair Care) के लिये थोड़ी सी मेहनत की जाए तो बाल अपेक्षाकृत सामान्य अवस्था से ज्यादा बढ़ते हैं और स्वस्थ (Healthy) रहते हैं।
एक्सपर्ट्स की मानें तो स्वस्थ बाल (Healthy Hair) एक महीने में आधा इंच तक बढ़ते हैं लेकिन बाल स्वस्थ नहीं हैं तो यह ग्रोथ कम भी हो सकती है। बालों को स्वस्थ बनाने के सबसे जरूरी है आपकी डाइट।लोग हमेशा घने और लम्बे बाल पाने की तमन्ना रखते हैं। बालों की अच्छी गुणवत्ता और लम्बाई होने से एक व्यक्ति काफी सुन्दर और आकर्षक हो जाता है। आप खूबसूरत और आकर्षक बालों से अपनी सुन्दरता को कई गुना बढ़ा सकते हैं। पर पर्यावरण के कारकों और खानपान में मिलावट की वजह से बालों का गिरना (Hair Fall ) काफी सामान्य बात हो गयी है।
और हां !
दृष्टि कमजोर (Vision Weakness) होना आज की जीवन शैली की एक आम समस्या है। यहाँ तक कि निविदा आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों को भी कमजोर आंखों (Poor eyesight ) के कारण चश्मे का उपयोग करते देखा जा सकता है। गर्मी और मस्तिष्क की कमजोरी कमजोर दृष्टि का एक मुख्य कारण है। एक शक्तिशाली प्रकाश में निरंतर पढ़ना, पाचन विकार, असंतुलित खाने और भोजन में विटामिन ए (Vitamin E) की कमी भी कमजोर दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं। शराब के सेवन से भी आँखों पर प्रभाव पड़ता है ।
आज हम आपको एक ऐसे घरेलू नुस्खे की रेसेपी बताने जा रहे है जिससे आपके बालों और आखो की समस्या का समाधान हो जाएगा |
दोस्तो इस प्रयोग के दिन में 3 चम्मच आपके बालो को घना , लम्बा और आखों की रौशनी को तेज कर सकते है | अब आपको नजर की दवाइयां और hair transplant करवाने की आवश्कता नहीं है बल्कि इस प्रयोग को घर पर तयार करें और जादू देखें |
तो आये जानते है इस नुस्खे के बारे में |
सामग्री :-
- 200 ग्राम अलसी के बीज
- 4 नींबू
- 1 kg शहद
- 3 छोटी लहसुन की गांठे
विधि :-
- लहसुन को छील कर नींबू के साथ ब्लेंडर में डाल कर ब्लेंड करें |
- मिक्स होने के बाद अलसी के बीज और शहद डाल कर फिर मिक्स करें |
- मिश्रण तयार (अच्छी तरेह मिक्स) होने के बाद इस मिश्रण को जार में निकाल कर फ्रिज में स्टोर करके रखें |
रोजाना खाने से पहले एस मिश्रण का 1 चम्मच सेवन करें | दिन में तीन बार मिश्रण का सेवन करें | याद रखें इसके सेवन के लिए लकड़ी के चम्मच का इस्तेमाल करें |
इसके सेवन से आपके बाल भी आयेंगे और आँखों की रौशनी भी तेज़ होगी.
मुर्दे को जलाने से पहले आयुर्वेद की ये परीक्षा ज़रूर करें – बच सकती हैं कई जाने
आदमी जिंदा है या मर गया
साँस नहीं चलने से कोई मुर्दा नहीं होता – मानव शरीर का जिंदा या मृत होना सिर्फ सांस चलने या नाडी देखने भर से नहीं पता चलता, अनेकों बार जीव रहते हुए भी व्यक्ति को मुर्दा समझ कर जला दिया जाता है. ऐसी अनेक विधियाँ हैं, जिनसे मृत और जिंदा व्यक्ति में अंतर किया जा सकता है.
आज हम आपको एक नयी जानकारी देने जा रहें हैं, अगर किसी का श्वांस बंद हो जाए, नाडी ना चल रही हो तो भी आयुर्वेद में ऐसी कई परीक्षाएं हैं जिनसे रोगी के जिंदा होने के सबूत मिल सकते हैं.
अनेक बार ऐसा होता है के मनुष्य एकदम बेहोश हो जाता है, नाडी नहीं चलती, सांस का चलना भी बंद हो जाता है, परन्तु शरीर से आत्मा नहीं निकलती, जीव भीतर ही रहता है. नादान लोग ऐसी दशा में उसे मरा हुआ समझ कर गाड़ने या जलाने की तैय्यारी करने लगते हैं. इस से अनेक बार ना मरा हुआ व्यक्ति भी मर जाता है. ऐसी हालत में अगर कोई जानकार आ जाए जिसको ये आयुर्वेद के ज्ञान हो तो उसको उचित चिक्तिसा कर के पुनः जिंदा कर सकता है.
“आपने कभी पुरानी फिल्म देखी होगी, जिसमे वैद रोगी की नब्ज देखता है, सांस देखता है, और फिर उसकी आँखों को देखता है, फिर उसके बाद उसके मृत होने की घोषणा करता है, इसके विपरीत आज कल हम सिर्फ नब्ज हार्ट बीट देख कर ही बता देते हैं के रोगी जिंदा है या मर गया.”
आज कल हार्ट फेल के अनेक केस हो रहें हैं, जिनमे रोगी एक सेकंड में मर जाता है, या कोई और भी कारण हो सकता है, जब रोगी के एक सेकंड में मरने की खबर हमको मिलती है तो ऐसे में कोई भी रोगी हो जिसकी ये सूचना मिले के वो मर गया हो उसको तुरंत मृत नहीं समझना चाहिए.
अतः आज ओनली आयुर्वेद आपको बताने जा रहा है ऐसे रोगी की पहचान के कैसे ऐसे मृत जिंदा व्यक्ति की पहचान हो.
उजालेदार मकान में जहाँ अच्छे से रौशनी आती हो, बेहोश रोगी की आँख खोल कर देखो. अगर उसकी आँख की पुतली में, देखने वाले की सूरत, प्रतिबिम्ब या परछाई दिखे तो समझ लो के रोगी अभी जीवित है. इसी प्रकार अँधेरे मकान में या रात के समय चिराग जला कर, उसकी आँखों के सामने रखें, अगर दीपक की लौ की परछाई या प्रतिबिम्ब उसकी आँखों में दिखे तो समझे के रोगी अभी जिंदा है.
अगर बेहोश रोगी की आँखों की पुतलियों में चमक हो तो समझो के रोगी अभी जिंदा है. आपने कभी पुरानी फिल्म देखी होगी, जिसमे वैद रोगी की नब्ज देखता है, सांस देखता है, और फिर उसकी आँखों को देखता है, फिर उसके बाद उसके मृत होने की घोषणा करता है, इसके विपरीत आज कल हम सिर्फ नब्ज हार्ट बीट देख कर ही बता देते हैं के रोगी जिंदा है या मर गया.
एक बहुत ही हलके से पतले से बर्तन में पानी भरें, इस बर्तन को रोगी के सीने पर रख दें, और ध्यान से देखें, अगर सांस चलती होगी तो पानी हिलता हुआ दिखेगा.
बिलकुल हलकी रुई (जो धुनी हुई हो – जिससे तकिये गद्दे भरते हैं) या फिर कबूतर का बिलकुल नया निकला हुआ छोटा सा पंख, रोगी के नाक के छेद के सामने रख दो, अगर ये हिलने लगे तो समझो के जान बाकी है. (यह काम करते समय ध्यान दें के रोगी के पास हवा ना आती हो, जिस से के ये पंख या रुई अपने आप हिलने लगे)
पेडू, चड्ढे, गुप्तांग और गुदा के भीतर दिल से एक रग आती है जो जब तक जीव रहता है तब तक हिलती रहती है, नाडी परीक्षक इस रग पर अंगुलियाँ रख कर मालूम कर सकता है के वो रग हिल रही है या नहीं.
हकीम जलिनूस कहते हैं के सकते की बीमारी वाले मुर्दे के सामान हो जाते हैं, ऐसे रोगी को मरा हुआ प्रतीत होते भी 72 घंटे तक उसको रखना चाहिए.
किसी ज़हर से मरे हुए व्यक्ति या पानी में डूबे हुए व्यक्ति को कम से कम 24 घंटे तक जीवित समझना चाहिए. अभी भी आदिवासी लोगों में कहीं कहीं ये प्रथा है के मुर्दा व्यक्ति को 72 घंटे तक जलाया या दफनाया नहीं जाता. उसके दोबारा जिंदा होने की उम्मीद् के कारण.
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